सरकार ने देश में हर शासन करने को सार्वजनिक स्थानों पर संकाय लगाने की हिदायत दी है। वास्तव में ऐसा नहीं करने पर संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है। अगर किसी ने सक नहीं किया है तो उसे टोकें। लोगों में जागरूकता जरूरी है। स्पर्श लगाना केवल स्वयं की सुरक्षा नहीं, बल्कि दूसरों की सुरक्षा का मामला भी है। अस्पताल, दुकान आदि में उन लोगों को भी सख्ती दिखानी चाहिए। कोरोना से जुड़े तमाम सवाल हैं, जिनके जवाब अब भी लोग खोज रहे हैं।
आशा हैं हमने ऊपर दी गयी जानकारी से आप संतुष्ट हुए होंगे अगर नहीं तो कृपया कमेन्ट के जरिये हमें बताएं। आज के इतिहास के बारे में और भी जानकारी हो तो वो भी हमें कमेन्ट के जरिये बताये हम इस ले।ख में जरुर अपडेट करेंगे
प्रस्तुत हैं कोरोना से जुड़े प्रश्न जिनके उत्तर सफदरजंग अस्पताल की वर्डप्रेस चिकित्सक चिकित्सक डॉ। गीता कमपन और सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली के डॉ। (लेफ्टिनेंट जनरल) वेद चतुर्वेदी ने कहा-
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अब क्या कोई कोरोना टेस्ट कर सकता है?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने टेस्ट को चार भागों में बांटा है। पहला- जुड़ाव जोन में जो किस्म के संपर्क में आये हैं या जिनसे पहले कोई बीमारी नहीं है। इसका एंटीपैजन टेस्ट फिर से आरटी-पीसीआर होगा। दूसरा- नॉनबैंडमेंट जोन में हैं, लेकिन चेतन के संपर्क में आये हैं। या जो विदेश से आये हैं, स्वास्तिककर्मी हैं, ये RT-PCR को पूर्व दी जाएगी। तीसरा- वे लोग जिनमें इन्फ्लुएंजा के लक्षण हैं, गर्भवती महिलाएं, सर्जरी केस आदि का सीधा आरटी-पीसीआर टेस्ट होगा। चौथा- कोई भी पाठवय जाना बिना डॉ के लिखित परीक्षा करा सकता है।
क्या डायरिया भी कोरोना के लक्षण में आता है?
कुछ लक्षण ऐसे हैं जो सामान्य लक्षण से अलग हैं। जैसे पेट दर्द और डायरिया, के लक्षण कुछ कोरोना रोगियों में पाए गए हैं। यदि आपका डॉ को कोरोना की आशंका है, तो तुरंत जांच करें।
महाराष्ट्र, केरल और तमिलनाडु में मृत्यु दर ज्यादा क्यों है?
मृत्यु दर का किसी विशेष लाभ से कोई लेना-देना नहीं है। वायरस बहुत जल्दी शरीर में फैलेगा, यह वायरस के स्ट्रेन पर निर्भर करत है। दूसरी बात व्यक्ति की इम्युनिटी कैसी है और वायरस के शरीर में पहुंचने पर शरीर कैसे निष्क्रिय करता है। इसके लिहाज से कुछ लोग एसिम्पोमेटिक होते हैं तो कुछ लोगों में वायरस गंभीर रूप ले लेता है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अगले साल जून तक प्रभावी वैक्सीन आने की संभावना है, इसे कैसे समझें?
विश्व के कई देशों में वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं। बहुत सा वैक्सीन फेज थ्री के ट्रायल में हैं। अब यह देखना है कि यह लोगों पर कितना असर करता है। लोगों के वायरस से कितने दिन तक सुरक्षित रहता है। वैक्सीन सभी आवश्यक चरणों से गुजरने के बाद ही बाजार में लाई होनागी। यानी जिस वैक्सीन में जितना समय लगेगा वह उतनी ही प्रभावी होगी।
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कुछ लोग एक ही पहलू को हमेशा लगाते रहते हैं, क्या यह सही है?
अगर किसी के पास कॉटन का facs है, तो उसे बार-बार धोकर लगाने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन अगर सर्जिकल फंक्शन या डिस्पोजेबल वर्क है तो उन्हें एक बार प्रयोग करके नष्ट कर देना चाहिए। ऐसे फैसलों को दोबारा धोकर प्रयोग नहीं करना चाहिए।
कोरोना काल में क्या कपड़ों को हर दिन धुलना जरूरी है?
अगर बाहर से आये हैं या अस्पताल से होकर आये हैं, तो कपड़ों को बदल लें और उन कपडों को साबुन के पानी से धोकर खाखा लें। अलग-अलग सरफेस (सतह) पर वायरस 1 से 9 दिन तक जिंदा रह सकता है। इसलिए कपड़ों को बिना धुले, ऐसे ही दूसरे कपड़ों के साथ या यहाँ-वहाँ न रखें बल्कि तुरंत धुलें।
किस देश में कोरोना का पीक आ चुका है?
100 साल पहले स्पैनिश फ्लू दो साल चला गया था। इसलिए ये मान कर चलना है कि ये महामारी भी लंबी चलेगी। बीमारी का पीक, वायरस के तनाव, आदि सब अनुसंधान के लिए हैं। आम लोगों को निपटारा करने के बारे में सोचना चाहिए। अगर फ़ैसला कर कर रहेंगे, तो ब्रांड हाइजिन और सोशल डिस्टेंसिग रखेंगे तो ही बचे रहेंगे। और अगर विविधताएं भी चली गईं तो शरीर में वायरस कम रहेंगे। ऐसे लोग जल्दी ठीक हो जाते हैं।
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क्या फेस वायरस का निवारण में सक्षम नहीं है?
कॉटन सेकंड्स, सर्जिकल फेस और एन 95 फेसिस्क से कितना सुरक्षित रखता है, इस पर बहुत गहन अध्ययन किया गया है। अगर संकाय सुरक्षा नहीं देती तो यह लागू होने के लिए क्यों कहा जाता है। भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पूछे जाने वाले को कहा जा रहा है। सोशल मीडिया पर अफवाहों पर मत जाओ। सोशल मीडिया पर भी केवल विश्वसनीय स्रोतों पर ही विश्वास करें।
एक दिन में 11 लाख से ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं, टेस्टिंग की अप बढ़ाना कितना जरूरी है?
टेस्टिंग से वासितविक परिस्थिति पता चलती है, कि वायरस के किस तरह के लक्षण आ रहे हैं, कैसे लोग गंभीर हैं और कितने लोग जल्दी रिकवर हो रहे हैं। यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए लोगों को जल्दी जोखिम हो रहा है। ऐसे में टेस्ट (परीक्षण) बढ़ायेंगे तभी सूचनाएँ तक पहुँच पाएँगी और उन्हें आइसोलेट कर रही हैं।
अगर वायरस के स्ट्रेन बदल रहे हैं तो वैक्सीन कैसे काम करेगी?
पूरे विश्व में अलग-अलग देश वैक्सीन बना रहे हैं। खास बात ये है कि कोरोना विश्व के सभी देशों में है और उन देशों में भी म्यूटेट हुआ है। सभी उसी के आधार पर वैक्सीन बना रहे हैं। वैज्ञानिकों को पता है कि वायरस का म्यूटेशन हो सकता है, इसलिये इसके बारे में सोच कर तनाव न लें। अगर भारत या दुनिया में कहीं भी वैक्सीन आ जाती है, तो भारत के पास क्षमता है कि वह अपने नागरिकों तक वैक्सीन पहुंचा सकता है।
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