जबसे दुनिया बनी है तब से वायरस मौजूद हैं. कुछ तो ऐसे हैं जो शायद इंसानों की उत्पत्ति से पहले के हैं. साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के अनुसार धरती पर वैज्ञानिकों ने करीब 6 लाख ऐसे वायरस खोजे हैं जो जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर सकते हैं.
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इंसान लगातार इन वायरसों के हमलों से जूझता आया है. लेकिन आंखों से न दिखने वाले इस दुश्मन के आगे इंसान हमेशा झुका है. आइए हम आपको बताते हैं धरती पर रह रहे इंसानों पर हमला करने वाले सबसे खतरनाक 12 वायरसों के बारे में…(फोटोः रॉयटर्स)
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मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) को 1967 में खोजा गया था. इसके बारे में तब पता चला था जब जर्मनी की एक प्रयोगशाला में यह लीक हो गया और वहां के कुछ लोग बीमार हो गए. यह वायरस बंदरों से इंसानों में आया था. इसकी वजह से इंसानों में तेज बुखार आता है. शरीर के अंदर अंगों से खून बाहर निकलने लगता है. इससे कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. इंसान मर जाता है. इसकी वजह से बीमार लोगों में से 80 फीसदी की मौत हो जाती है. (फोटोः रॉयटर्स)
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इबोला वायरस (Ebola Virus) के बारे में सबसे पहले 1976 में तब पता चला जब कॉन्गो और सूडान में कुछ लोग इससे मारे गए. यह वायरस भी जानवरों से इंसानों में आया था. इससे बीमार हुए लोगों में से 50 से 70 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. 2014 में अफ्रीका में यह बेहद भयानक स्तर पर फैला था. यह आज भी लोगों पर हमला करता रहता है. (फोटोः रॉयटर्स)
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रैबीस (Rabies) पालतू जानवरों से होता है. सामान्य तौर पर कुत्तों के काटने से. इसके बारे में 1920 में पता चला था. विकसित देशों में तो अब इसके मामले सामने नहीं आते हैं लेकिन भारत और अफ्रीका के देशों में यह वायरस अक्सर लोगों की जान ले लेता है. अगर आप सही समय पर सही इलाज नहीं पाते तो यह वायरस 100 फीसदी लोगों की जान ले लेता है. (फोटोः रॉयटर्स)
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एचआईवी (HIV) आधुनिक दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस है. इसके संक्रमण के बाद आज तक कोई बच नहीं सका. इसकी वजह से बीमार हुए लोगों में से 95 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. पूरी दुनिया में 1980 से लेकर अब तक 3.20 करोड़ लोग एचआईवी की वजह से मारे जा चुके हैं. मानव इतिहास में इससे ज्यादा जाने किसी वायरस ने नहीं ली हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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स्मॉलपॉक्स (Smallpox) एक ऐसी बीमारी है जो हजारों सालों से इंसानों को परेशान कर रही है. 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे खत्म करने की मुहिम चलाई. लेकिन आज भी अगर यह तीन लोगों को संक्रमित करता है तो उसमें से एक की मौत पक्की है. 20वी सदी में स्मॉलपॉक्स की वजह से 30 करोड़ लोगों की जान गई. (फोटोः रॉयटर्स)
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हंतावायरस (Hantavirus) पर दुनिया का ध्यान सबसे पहले तब गया जब 1993 में अमेरिका में एक युवक और उसकी मंगेतर संक्रमित होने के कुछ ही दिनों के अंदर मर गए. कुछ ही महीनों में अमेरिका के 600 लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए और इसमें 36 फीसदी मारे गए. ये बीमारी चूहे से फैलती है. कोरियाई युद्ध के दौरान हंतावायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे. (फोटोः रॉयटर्स)
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इंफ्लूएंजा (Influenza) की वजह से दुनिया में हर साल करीब 5 लाख लोग मारे जाते हैं. लेकिन कभी-कभी इंफ्लूएंजा का कोई नया वायरस आता है जो महामारी बन जाता है. जैसे 1918 का स्पैनिश फ्लू. इसकी वजह से दुनिया की 40 फीसदी आबादी बीमार हो गई थी. करीब 5 करोड़ लोग मारे गए थे. अगर इंफ्लूएंजा का कोई नया वायरस आता है तो यह ज्यादा तबाही मचा देगा. (फोटोः रॉयटर्स)
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डेंगू (Dengue) ऐसी बीमारी है जो मच्छर के काटने से होती है. इसके बारे में 1950 में पहली तब पता चला जब फिलीपींस और थाईलैंड में यह फैला. अभी दुनिया की 40 फीसदी आबादी ऐसी जगहों पर रहती है जो डेंगू की पहुंच में है. इसकी वजह से हर साल 50 लाख से 1 करोड़ लोग बीमार होते हैं. यह आगे बढ़कर इबोला हेमोरेजिक फीवर में बदल सकता है. अगर सही समय पर सही इलाज न मिले तो मौत तय हैं. इसकी वजह से कुल बीमार लोगों में से 20 फीसदी मारे जाते हैं.
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रोटावायरस (Rotavirus) बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है. इसकी वजह से बच्चों को डायरिया और निमोनिया हो जाता है. यह वायरस शरीर में अंदर मुंह से या गुदा द्वार से अंदर चला जाता है. विकसित देशों में तो नहीं लेकिन विकासशील देशों में इस वायरस की वजह से हजारों बच्चे मारे जाते हैं. WHO की माने तो इसकी वजह से हर साल करीब 4 लाख बच्चे मारे जाते हैं. बाजार में इसकी दो वैक्सीन मौजूद हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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सार्स (SARS) 2003-03 में चीन के गुआंगडांग प्रांत से सामने आया. यह वायरस चमगादड़ों से इंसानों में आया है. सार्स की वजह से 26 देशों के 8000 लोग दो साल में बीमार हुए थे. इनमें से 770 लोगों की मौत हुई थी. यह कोरोना वायरस का पूर्वज है. इसकी वजह से कुल बीमार लोगों में 9.6 फीसदी लोग मारे जाते हैं. यह बढ़ भी सकता है अगर इलाज न हो तो.
(फोटोः रॉयटर्स) -
मर्स (MERS) सबसे पहले सऊदी अरब में 2012 में फैला. इसके बाद 2015 में दक्षिण कोरिया में. यह भी सार्स और कोरोना वायरस कोविड-19 के परिवार का ही वायरस है. यह ऊंट के जरिए इंसानों में आया था. इसके लक्षण भी कोरोना वायरस जैसे ही होते हैं. इससे निमोनिया हो जाता है और कुल बीमार लोगों में से 30 से 40 फीसदी लोग मारे जाते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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सार्स-सीओवी2 यानी कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के बारे में पिछले साल दिसंबर में पता चला. यह चीन के वुहान शहर से पूरी दुनिया में फैला. इसकी वजह से कुल बीमार लोगों में से अब तक करीब 3 फीसदी लोग मारे जा चुके हैं. यह लगभग पूरी दुनिया में फैल चुका है. इसकी वजह से अब तक 12.75 लाख लोग बीमार है. 69 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं. (फोटोः रॉयटर्स)