कोरोना वायरस की सटीक दवा खोजने को लेकर वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की मेहनत जारी है. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के बाद अब एक और दवा की चर्चा हो रही है. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो मेडिसिन के शोधकर्ताओं का कहना है कि COVID-19 के 125 मरीजों को रेमडेसिवीर दवा देने के बाद उनकी सेहत में तेजी से सुधार देखा गया है. दवा की शुरुआती सफलता को देखते हुए इसकी मांग भी बढ़ गई है.
रेमडेसिवीर दवा का इस्तेमाल इबोला के उपचार में किया गया था. आपको बता दें अमेरिका की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी Gilead Sciences की तरफ से रेमडेसिवीर दवा का क्लीनिकल परीक्षण किया जा रहा है और इसे प्रायोगिक दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.
कोरोनो वायरस की प्रामाणिक दवा अब तक नहीं बन पाई है. दुनिया भर में इस महामारी से बीमार और मरने वालों के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसे में रेमडेसिवीर को COVID-19 संक्रमण के उपचार में बहुत कारगर माना जा रहा है. इस दवा पर अमेरिका की हेल्थ न्यूज वेबसाइट Stat की रिपोर्ट द्वारा बताए गए निष्कर्ष आशाजनक हैं, लेकिन यह क्लीनिकल परीक्षण डेटा पर आधारित नहीं हैं.
Stat के अनुसार, शिकागो विश्वविद्यालय में COVID-19 का इलाज करा रहे 125 मरीजों ने दो चरणों में 3 क्लीनिकल परीक्षण में हिस्सा लिया. इस परीक्षण का आयोजन Gilead द्वारा किया गया था. इनमें से 113 मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण थे. Stat का कहना है कि इस परीक्षण की वीडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है. इस वीडियो में शिकागो विश्वविद्यालय के सदस्य आपस में चर्चा करते दिख रहे हैं, जिसमें एक फिजिशियन का कहना है कि रेमडेसिवीर दवा लेने के बाद कुछ लोगों का बुखार कम हुआ और कुछ लोगों को वेंटिलेटर से हटा दिया गया.
रेमडेसिवीर का एक परीक्षण उन 2,400 लोगों पर किया जा रहा है, जिनमें कोरोना के गंभीर लक्षण हैं जबकि दूसरा परीक्षण उन 1,600 मरीजों पर किया जा रहा है जिनमें कोरोना के मामूली लक्षण हैं. यह दोनों परीक्षण दुनिया भर में कई जगहों पर किए जा रहे हैं. ClinicalTrials.gov के अनुसार, यह दोनों परीक्षण मार्च में शुरू हुए थे और उम्मीद है कि मई तक इन्हें पूरा कर लिया जाएगा.