3 दिसंबर 1967 की सुबह दक्षिण अफ्रीका के लिए एक सामान्य सुबह थी, लेकिन केप टाउन के ग्रूट शूर अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर 2A में इतिहास रचा जा रहा था.
सुबह 6 बजे के करीब प्रोफेसर क्रिस्टियन नीथलिंग बर्नार्ड अपने सर्जिकल मास्क के पीछे से डेनिस डारवैल के दिल की धड़कनों पर नज़रें गड़ाए हुए थे. डारवैल के दिल की धड़कन सामान्य हो रही थी और जल्द ही उसने लय पकड़ ली. लेकिन एक चीज बदल गई थी. डारवैल का दिल अब लुइस वशकांस्की के सीने में धड़क रहा था. संसार का पहला हृदय प्रत्यारोपण क़ामयाब था. चिकित्सा इतिहास में यह निर्णायक क्षण था. इसे दुनिया भर में सुर्खियां मिली और बर्नार्ड रातोंरात सेलिब्रिटी बन गए.

अस्पताल में संग्रहालय
जिस जगह पहला हृदय प्रत्यारोपण हुआ था, वहां अब एक संग्रहालय है.
द हार्ट ऑफ़ केप टाउन म्यूजियम के संस्थापक और क्यूरेटर हेनी जूबर्ट कहते हैं, “यह सिर्फ़ संग्रहालय नहीं, यह विरासत स्थली है.”
यह म्यूजियम ग्रूट शूर अस्पताल की चारदीवारी के भीतर ही बना है. यह अस्पताल केप टाउन के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है.
हेरिटेज होने के साथ-साथ यह बहुत व्यस्त अस्पताल है और केप टाउन यूनिवर्सिटी के मेडिकल छात्रों की पढ़ाई का केंद्र भी है.
बर्नार्ड और उनके हृदय प्रत्यारोपण ने जूबर्ट को बहुत प्रभावित किया है. उनके पिता और बर्नार्ड ने केपटाउन यूनिवर्सिटी में साथ-साथ पढ़ाई की थी और वे अच्छे मित्र थे.
बर्नार्ड के सर्जरी की दुनिया में पहुंचने से पहले दोनों डॉक्टर छोटे से शहर सेरेस में जनरल प्रैक्टिस करते थे.
जूबर्ट ने 2006 में ऑन्कोलॉजी के अपने बिजनेस को बेचा और 2007 में ऑपरेशन के 40 साल पूरे होने पर संग्रहालय की शुरुआत की.
जूबर्ट ने इसमें अपने 80 लाख रैंड (करीब 4,40,000 पाउंड) लगाए और पुराने ऑपरेशन थिएटर को उसके मूल रूप में फिर से बनाया.
उन्होंने उस घटना से जुड़ी यादों को सहेजने के लिए उससे जुड़ी चीजें इकट्ठा कीं.
इस संग्रहालय में बर्नार्ड की क़ामयाबी, दुनिया भर में होने वाले मेडिकल रिसर्च और उस समय की होड़ को भी दिखाया गया है.

डॉक्टरों में होड़
इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कराने की कोशिश अकेले बर्नार्ड नहीं कर रहे थे. अमरीका में 1950 और 1960 के दशक में डॉ. रिचर्ड लोअर और डॉ. नॉर्मन शुम्वे कुत्तों का सफल प्रत्यारोपण कर रहे थे.
बर्नार्ड दक्षिण अफ्रीका में ‘रोगी’ कुत्तों पर रिसर्च कर रहे थे और अपने तरीके आजमा रहे थे.
बर्नार्ड के परीक्षण रंगभेद के चरम दिनों में हो रहे थे, फिर भी उनके ऐतिहासिक प्रत्यारोपण को सफल बनाने में दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत और मिश्रित नस्ल वाले सहायकों का अहम योगदान रहा.
हैमिल्टन नाकी नाम का शख्स जो पहले अस्पताल का सफाईकर्मी था, वह तरक्की करते हुए डॉक्टर बर्नार्ड की ट्रांसप्लांट रिसर्च टीम का कुशल सदस्य बन गया था.
कई मायनों में, दक्षिण अफ्रीका ऐसी चिकित्सीय क़ामयाबी के लिए असामान्य जगह थी. 1967 में रंगभेद के कारण यह देश दुनिया से अलग-थलग था.

मृत्यु की परिभाषा
बर्नार्ड की क़ामयाबी मृत्यु की कानूनी व्याख्या के चलते संभव हुई.
दक्षिण अफ्रीका में डॉक्टर किसी मरीज को ब्रेन डेड घोषित करके उसके अंगदान की तैयारी कर सकते थे, लेकिन अमरीका में हृदय गति रुकने पर ही मरीज को मृत माना जाता था.
शुम्वे ने इस परिभाषा का मजाक उड़ाया था और मई 1968 में अपने पहले हृदय प्रत्यारोपण (संसार का 16वां) के बाद डॉक्टर लोअर पर हत्या का मुकदमा चला था.
डोनर ब्रूस टकर के परिवार का पता लगाए बिना डॉ. लोअर ने ऑपरेशन के लिए उसका दिल निकाल लिया था.
टकर के परिवार को पता चला तो उन्होंने मुकदमा कर दिया. 1972 में लोअर को आरोप-मुक्त किया गया. इसके बाद ही अमरीका में मृत्यु की कानूनी परिभाषा बदली गई.

कार एक्सीडेंट
संग्रहालय का सबसे लोकप्रिय कोना ख्याति पाने में लगे शोधकर्ताओं और सर्जनों का नहीं हैं, बल्कि डेनिस डारवैल का बेडरूम है.
25 साल की इस बैंक क्लर्क का नाम अनजाने में ही इतिहास की किताबों में दर्ज हो गया है.
2 दिसंबर 1967 को ग्रूट शूर अस्पताल के पास मुख्य सड़क पर डेनिस और उनकी मां को एक कार ने टक्कर मार दी थी.
हादसे में डेनिस की मां मार्टले की तुरंत मृत्यु हो गई. डेनिस के दिमाग पर चोट लगी, जो कुछ ही घंटों में घातक साबित हुई.
म्यूजियम में डारवैल के बेडरूम की दीवार को उनके परिवार से मिले दान की चीजों से सजाया गया है. इसमें उनकी डायरी के स्केच और एक छोटी बाइबिल है.
दीवार पर उनके पिता के शब्द भी टंगे हुए हैं. पत्नी और बेटी को खोने के कुछ ही घंटों बाद डॉक्टरों ने उनसे डेनिस के दिल को 54 साल के मरीज के सीने में प्रत्यारोपित करने की इज़ाज़त मांगी थी.
उनके शब्द थे- “ठीक है डॉक्टर, यदि आप मेरी बेटी को नहीं बचा सकते तो इस आदमी को बचाने की कोशिश कीजिए.”
वह व्यक्ति लुइस वशकांस्की था. उसका दिल धीरे-धीरे बंद हो रहा था और उसके ठीक होने की उम्मीद ना के बराबर बची थी.
म्यूजियम में वशकांस्की के बेड के ऊपर उसके मेडिकल चार्ट की कॉपी और उस पर डॉक्टर की टिप्पणी भी दर्ज है- “किसी ऑपरेशन से मदद नहीं मिलेगी. प्रकृति को अपना काम करने दें.”

बर्नार्ड की महत्वाकांक्षा
बर्नार्ड सहमत नहीं थे. इस युवा सर्जन की महत्वाकांक्षा उनके ऑफिस के कमरे में साफ-साफ दिखती है.
उनके कमरे की दीवार पर उनकी क़ामयाबी का सफ़र दर्ज है- अर्ध-रेगिस्तानी शहर ब्यूफोर्ट वेस्ट में पादरी के बेटे से लेकर अमरीका में उनकी जनरल प्रैक्टिस तक.
26 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री में बर्नार्ड के कई पहलू सामने आते हैं- होनहार सर्जन, लेकिन एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपने पूरे करियर में विवादों को जन्म दिया.
म्यूजियम के मुख्य हिस्से में वे दो ऑपरेशन थिएटर हैं जहां 3 दिसंबर 1967 को तड़के ऐतिहासिक प्रत्यारोपण पूरा हुआ था.
थिएटर 2A के ऑपरेशन टेबल पर वशकांस्की नये दिल का इंतज़ार कर रहा था और थिएटर 2B में डारवैल अपना दिल डोनेट करने के लिए तैयार थी.
जूबर्ट कहते हैं, “मैं इस म्यूजियम को ठीक वैसा ही बनाना चाहता था जैसा यह ऑपरेशन वाली रात को था.” उनको
सरकारी स्वास्थ्य विभाग से भी मदद मिली.

ऑपरेशन वाली रात के उपकरण
अस्पताल के दस्तावेज सटीक थे. जूबर्ट को ऑपरेशन की रात थिएटर में रखे सभी उपकरणों के सीरियल नंबर मिल गए. लेकिन उन उपकरणों को वापस लाना आसान नहीं था.
थिएटर 2B का ऑपरेशन टेबल जिस पर डारवैल लेटी थी, उसे नामीबिया की राजधानी विंडहॉक के रोमन कैथोलिक अस्पताल को दान कर दिया गया था.
जूबर्ट कहते हैं, “मैंने उस अस्पताल के प्रमुख को फोन किया और कहा कि हमें वह बेड वापस केपटाउन लाना है, क्योंकि वह दक्षिण अफ्रीका के इतिहास का हिस्सा है.”
जुबर्ट ने उस अस्पताल को नया बेड दिया और असली बेड को केपटाउन लाया गया.
थिएटर 2B की लाइट भी बेच दी गई थी. जुबर्ट ने उसे एक स्थानीय पशु अस्पताल में तलाशा और उसके मालिक को उसे म्यूजियम के लिए लौटाने को राज़ी कर लिया.
थिएटर 2A की असली हार्ट-लंग मशीन जिसके सहारे वशकांस्की ज़िंदा था, एक कोने में खड़ा था.
खून की कमी नापने वाला स्केल अस्पताल के स्टोर रूम में मिला. अब उसे थिएटर 2A के नर्स स्टेशन के पास रखा गया है.
बर्नार्ड के ऑफिस में केपटाउन यूनिवर्सिटी में उनके दफ्तर की असली मेज लाई गई है और उनका पुतला उसी मेज के पीछे बिठाया गया है.
ताक पर रखा चमड़े का पुराना डॉक्टरी बस्ता सेरेस में उनके प्रैक्टिस के दिनों का है.
यहां इतिहास दर्ज है
ऑपरेशन थिएटरों के बाहर कॉरीडोर में दुनिया भर से आए टेलीग्राम और चिट्ठियों को रखा गया है.
शूम्वे ने बर्नार्ड को बधाई संदेश भेजा था और ऑपरेशन के बाद मरीज की देखरेख की बिन मांगी सलाह भी दी थी.
लेकिन सभी इस उपलब्धि की तारीफ नहीं कर रहे थे. शिकागो की मैरी पावर स्लैटरी ने बर्नार्ड को “ग्रूट शूर अस्पताल का कसाई” लिखा था.
अर्लिंग्टन, वर्जीनिया के एस. पेश्चेल ने उनकी टीम को “पिशाचों के झुंड” से संबोधित किया था.
थिएटर 2B की दीवार में फिट किए गए ग्लास केस के अंदर कांच के दो क्यूब हैं.
बायीं तरफ के क्यूब में फॉर्मल्डिहाइड के अंदर लुइस वशकांस्की का बीमार दिल रखा गया है.
दायीं तरफ डेनिस डारवैल का दिल है, जिसने डॉक्टर बर्नार्ड के नाम को घर-घर तक मशहूर कर दिया था.
वशकांस्की प्रत्यारोपण के बाद सिर्फ़ 18 दिनों तक ज़िंदा रह पाए. दोहरे निमोनिया के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी. लेकिन उनकी आखिरी सांस तक डारवैल का दिल एक दूसरे इंसान के सीने में जोर-जोर से धड़क रहा था.