सैय्यद अली शाह गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) से इस्तीफा दे दिया है. गिलानी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन पद पर थे. हुर्रियत का मतलब आजादी होता है और APHC अपनी स्थापना से ही कश्मीर की आजादी के लिए काम करता रहा है. इस कॉन्फ्रेंस में कश्मीर से जुड़े कई अलग-अलग सामाजिक व धार्मिक संगठन शामिल हैं.
ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना 9 मार्च 1993 को हुई थी. सैय्यद अली शाह गिलानी का इसमें अहम रोल था. गिलानी के अलावा मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी लोन, मौलवी अब्बास अंसारी और अब्दुल गनी भट्ट भी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना में अहम सदस्य थे. कॉन्फ्रेंस के पहले चेयरमैन के तौर पर मीरवाइज उमर फारूक ने जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद 1997 में इस पद पर सैय्यद अली शाह गिलानी जम गए.
हुर्रियत में धीरे-धीरे टकराव भी देखने को मिला और यह संगठन दो हिस्सों में बंट गया. मीरवाइज उमर फारूक अलग हो गए, जबकि गिलानी गुट ने अलग रास्ता अपना लिया. मीरवाइज के गुट को मॉडरेट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस कहा जाने लगा. जबकि दूसरी तरफ गिलानी ने अपने संगठन तहरीक-ए हुर्रियत को कॉन्फ्रेंस का नाम दे दिया. फिलहाल, जिस हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन पद पर गिलाने थे, उसकी स्थापना 7 अगस्त 2004 को हुई थी.
huriyatconference.com के मुताबिक, तहरीक-ए हुर्रियत जम्मू-कश्मीर के पहले स्थापना दिवस पर 7 अगस्त 2005 को श्रीनगर के हैदरपुरा में एक लाख से ज्यादा लोग जमा हुए थे. वेबसाइट के मुताबिक, ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के एक्जीक्यूटिव सदस्यों की लिस्ट में गिलानी के अलावा 10 नाम हैं.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के एक्जीक्यूटिव सदस्य
मसर्रत आलम भट्ट- मुस्लिम लीग
गुलाम नबी सुमजी- मुस्लिम कॉन्फ्रेंस
मुहम्मद सादिक- तहरीक-ए वदाहत
जमरूदा हबीब- खवातीन मरकज
मुहम्मद शफी रेशी- डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट
मुहम्मद रफीक गनी- जम्मू एंड कश्मीर फ्रीडम लीग
मुहम्मद शफी लोन- जम्मू एंड कश्मीर एम्पलॉई फ्रंट
गुलाम मुहम्मद खान- जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स लीग
अल्ताफ अहमद शाह- तहरीक-ए हुर्रियत जम्मू कश्मीर
फरीदा बहनजी- जम्मू एंड कश्मीर मास मूवमेंट
इन 10 सदस्यों के अलावा चेयरमैन पद पर सैय्यद अली शाह गिलानी थे, जिन्होंने अब इस्तीफा दे दिया है. गिलानी की उम्र 90 साल है और अगस्त 1962 में 30 साल की उम्र में पहली बार गिलानी को जेल हुई थी. जेल में रहने के दौरान ही उनके पिता का निधन हो गया था. पाकिस्तान से खुफिया रिश्तों के लिए भी गिलानी को जेल हो चुकी है. 1972 में गिलानी ने जमात-ए इस्लामी जम्मू-कश्मीर के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीता था. गिलानी लंबे समय से अपने घर में ही नजरबंद हैं.