चाणक्य ने जीवन की कठिनाईयों से पार पाने के लिए अपने नीति ग्रंथ में कई प्रकार के उपायों का वर्णन किया है. उनके नीतियों का अनुसरण करके व्यक्ति विषम से विषम परिस्थितियों में भी आनंद ले सकता है और उससे बाहर निकल सकता है. चाणक्य नीति में आचार्य ने ऐसे एक उपाय का भी वर्णन किया है जिसे मानकर मनुष्य सबका प्रिय हो सकता है और पूरे संसार को अपने वश में कर सकता है.
यदीच्छसि वशीकर्तुं जगदेकेन कर्मणा ।
परापवादसस्येभ्यः गां चरन्तीं निवारय ॥
चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि अगर सारे जगत को अपने वश में कहना हो तो बस एक काम करना होगा. वो कहते हैं कि सिर्फ दूसरों की बुराई करने की आदत को त्याग देने से पूरी दुनिया आपकी हो सकती है.
चाणक्य के मुताबिक संसार को वश में करने का एक ही उपाय है, अपनी जुबान से किसी की बुराई या निंदा मत करो. जीभ जब भी दूसरों की बुराई करने की सोचे उसे रोक लो. वशीकरण का इससे बढ़कर कोई उपाय नहीं है.
तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलश्चैव वासराः।
यावत्सर्वं जनानन्ददायिनी वान प्रवर्तते।।
आचार्य चाणक्य इस श्लोक में भी वाणी के महत्व को बताते हैं. वो कहते हैं कि कोयल जब तक वसंत नहीं आ जाता चुप ही रहती है वसंत आने पर अपनी मधुर आवाज़ से सबका मन मोह लेती है. इसी प्रकार मनुष्य को भी हमेशा मीठा बोलना चाहिए, अगर मीठा नहीं बोल सकते तो चुप रहने में ही भलाई है.